Yojana Band Vikas ki Prerna Bharat ko Kahan se Mili
Yojana Band Vikas ki Prerna Bharat ko Kahan se Mili (योजनाबद्ध विकास की प्रेरणा भारत को किस देश से मिली?): अगस्त 1944 में, ब्रिटिश भारत सरकार ने अर्देशिर दलाल के प्रभार में “योजना और विकास विभाग” की स्थापना की। विकास को लेकर एक नहीं अनेक योजनाएं विभिन्न स्तरों पर बनती अवश्य हैं लेकिन लागू नहीं हो पातीं, जिस कारण शहरों का विकास योजनाबद्ध तरीकों से नहीं हो पाता। दूसरा रोजी रोटी के लिए प्रतिदिन गांव का युवा शहरों की ओर पलायन करता है। परिणामस्वरूप शहरों पर दबाव बढ़ता जा रहा है
Yojana Band Vikas ki Prerna
दबाव बढऩे के कारण और योजनाओं के समय पर लागू न होने से सारी व्यवस्था ही चरमरा जाती है। आज सड़कों, सीवरेज से लेकर स्कूलों, अस्पतालों पर इतना दबाव है कि यह झेल पाने में असमर्थ है और Yojana Band Vikas से इसका खामियाजा जन साधारण को विशेषतया गरीब व मजदूर वर्ग को भुगतना पड़ता है। क्योंकि सरकार व समाज दोनों ही उदासीनता दिखा रहे हैं। सीवरेज के साथ-साथ कारखानों से निकलने वाले गंदे पानी की निकासी का इंतजाम ही नहीं वह नालों में फैंका जाता है और नालों से नहरों से नदियों को जिस कारण नहरों व दरियाओं का पानी भी प्रदूषित हो रहा है।
भारत में योजना का इतिहास
सबसे पहले नियोजित अर्थव्यवस्था का विचार १९३० के दशक में सामने आया जब हमारे राष्ट्रीय नेता समाजवादी दर्शन के प्रभाव में आ गए। भारत की पंचवर्षीय योजनाएँ पाँच वर्षीय योजनाओं के माध्यम से यूएसएसआर द्वारा प्राप्त तीव्र प्रगति से बहुत प्रभावित थीं।
Yojana Band Vikas ki Prerna: 1934 में, सर एम विश्वेश्वरैया ने ” प्लांड इकोनॉमी इन इंडिया ” नामक एक पुस्तक प्रकाशित की थी , जिसमें उन्होंने अगले दस वर्षों में भारत के विकास का एक रचनात्मक मसौदा प्रस्तुत किया था। उनका मूल विचार श्रम को कृषि से उद्योगों में स्थानांतरित करने और दस वर्षों में राष्ट्रीय आय को दोगुना करने की योजना बनाना था।
नियोजन की दिशा में यह पहला ठोस विद्वतापूर्ण कार्य था। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के आर्थिक परिप्रेक्ष्य को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1931 के कराची अधिवेशन, 1936 के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के फैजपुर अधिवेशन के बीच तीस के दशक के दौरान तैयार किया गया था।
योजनाबद्ध विकास में औद्योगिक प्रकीर्णन की भूमिका का समालोचनात्मक विश्लेषण
जब उद्योग-धंधे किसी स्थान विशेष पर संकेंद्रित न होकर देश के भिन्न-भिन्न स्थानों पर स्थापित किये जाते हैं तब औद्योगीकरण की इस प्रवृत्ति को औद्योगिक विकेंद्रीकरण या औद्योगिक प्रकीर्णन की संज्ञा दी जाती है।
Yojana Band Vikas ki Prerna Bharat ko Kahan se Mili: विभिन्न क्षेत्रों के संतुलित विकास के लिये विकेंद्रीकरण की नीति अपनाई जाती है। भारत में भी योजनाबद्ध विकास के लिये विकेंद्रीकरण की नीति पर अधिक बल दिया जा रहा है।
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कुछ विशिष्ट स्थानों या क्षेत्रों में ही उद्योगों के संकेंद्रित होने से देश का संतुलित विकास नहीं हो पाता है और राष्ट्रीय असुरक्षा, औद्योगिक एवं पर्यावरणीय प्रदूषण तथा जनसंख्या संकेंद्रण के कारण अधिक भीड़-भाड़ तथा महानगरीकरण की प्रवृत्ति से उत्पन्न अन्य समस्याओं को कम या समाप्त करने के लिये औद्योगिक विकेंद्रीकरण की नीति अपनाई जाती है।
योजनाकार जो योजनाएं बनाये तो उनको समय पर लागू करने के लिए राजनीतिज्ञों और अधिकारियों को भी गंभीर होने की आवश्यकता है। पानी, हवा अगर प्रदूषित हो गए तो वह गरीब-अमीर में अंतर नहीं करते सबको प्रभावित करते हैं। विकास विनाश का कारण न बने यह बात आज सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
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FAQ’s
Q.1 योजनाबद्ध विकास क्या है?
Ans- योजनाबद्ध विकास वह प्रवृत्ति है जब उद्योग-धंधे किसी स्थान विशेष पर संकेंद्रित न होकर देश के भिन्न-भिन्न स्थानों पर स्थापित किये जाते हैं तब औद्योगीकरण की इस को औद्योगिक विकेंद्रीकरण या औद्योगिक प्रकीर्णन की संज्ञा दी जाती है
Q.2 भारत में उद्योगों का योजनाबद्ध विकास कब से आरंभ हुआ?
Ans- भारत में उद्योगों का योजनाबद्ध विकास 1956 से आरंभ हुआ
Q.3 योजनाबद्ध विकास के कारण सरकार की ताकत में वृद्धि कैसे हुई थी?
योजनाबद्ध विकास के कारण सरकार की ताकत में वृद्धि अधिक हुई है
Q.4 योजनाबद्ध विकास की प्रेरणा भारत को किस देश से मिली?
Ans- Asia के देश से मिली।