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Ras Class 10 Hindi Grammar Notes PDF Download

Table of Contents

Ras Class 10 Hindi Grammar Notes PDF Download

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RAS Class 10: आज हम आपके साथ रस–परिभाषा, भेद और उदाहरण महत्वपूर्ण Notes and Question Answer शेयर कर रहे है. जो छात्र SSC CGL, RAS, UPSC, MTS, CPO, IAS and all state level competitive exams. या अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे उनके लिए यह Ras Class 10 Hindi Grammar Notes का PDF Download करके पढना किसी वरदान से कम नहीं होगा. आप इस सामान्य हिंदी का इतिहास एवं परिचय PDF नोट्स को नीचे दिए हुए Download Link के माध्यम से Download कर सकते है.

Ras Class 10 Hindi Grammar Notes PDF Download
Ras Class 10

Ras Ki Paribhasha (रस की परिभाषा)

रस का शाब्दिक अर्थ है निचोड़। जब भी हम किसी कविता, नाटक,  फिल्म को बोल रहे या सुन रहे हो उससे जो आनंद मिलता है उसे “रस” कहते है। Ras Class 10 Hindi Grammar का सिद्धांत बहुत पुराना है  रस को काव्य की आत्मा माना जाता है जैसे बिना आत्मा के शरीर का कोई अस्तित्व नहीं है उसकी तरह काव्य भी रस के बिना निरजीव है। जैसे:-
“उस काल मारे क्रोध के, तन काँपने उसका लगा।
मानों हवा के जोर से, सोता हुआ सागर जगा।”
उपरोक्त पंक्तियों के रस है।

  • पाठक या श्रोता के हृदय में स्थित स्थायीभाव ही विभावादि से संयुक्त होकर रस के रूप में परिणत हो जाता है।
  • रस को ‘काव्य की आत्मा’ या ‘प्राण तत्व’ माना जाता है।

भरतमुनि के द्वारा रस की परिभाषा

Ras Class 10: सबसे पहले भरतमुनि ने “नाट्यशास्त्र ” में काव्य राश के बारे में उल्लेख किया था। विभावानुभावव्यभिचारिसंयोगाद्रसनिष्पत्तिः। अर्थात् विभाव, अनुभाव तथा व्यभिचारी भाव के संयोग से रस की निष्पत्ति होती है। इस प्रकार काव्य पढ़ने, सुनने या अभिनय देखने पर विभाव आदि के संयोग से उत्पन्न होने वाला आनन्द ही ‘रस’ है। उन्होंने अपने ‘नाट्यशास्त्र’ में  रस के आठ प्रकारों का वर्णन किया है।

डॉक्टर विशंभर नाथ के अनुसार

“भावों के छंद आत्मक समन्वय का नाम ही रस है”

आचार्य धनंजय के अनुसार रस की परिभाषा

“विभाव अनुभाव सात्विक साहित्य भाव और व्यभिचारी भाव के सहयोग से आस्वाद विद्यमान स्थाई भाव ही रस है”

आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार

“जिस भारतीय आत्मा की मुक्त अवस्था ज्ञान भाषा कहलाती है उसी भांति हृदय की मुक्त अवस्था रस दशा कहलाती है”

रस के अंग / अवयव

Ras Class 10th मे रस के चार अवयव या अंग हैं| जो इस प्रकार हैं-

  1. विभाव
  2. अनुभाव
  3. संचारी भाव
  4. स्थायी भाव

विभाव रस

जिन कारणों से हृदय में विद्यमान स्थायी भाव जागृत होते हैं । दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि जो व्यक्ति या वस्तु किसी के मन के भावों को प्रेरित या जागृत करते हैं। उन्हें विभाव कहते हैं ।

विभाव दो प्रकार के होते हैं –

  1. आलम्बन विभाव – वे विभाव होते हैं जो मन के भावों को जागृत करते हैं या जिसे देखकर मन के भाव जागृत होते हैं।
    1. आलंबन विभाव के दो भेद होते हैं
      1. (क) आश्रयालंबन– जिस व्यक्ति या पात्र के हृदय में भावों की उत्पत्ति होती है, उसे आश्रयालंबन कहते हैं।
      2. (ख) विषयालंबन– जिस विषय-वस्तु के प्रति मन में भावों की उत्पत्ति होती है, उसे विषयालंबन कहते हैं। उदाहरण देखिए –अपने भाइयों और साथी राजाओं के एक-एक कर मारे जाने से दुर्योधन विलाप करने लगा। यहाँ ‘दुर्योधन’ आश्रय तथा ‘भाइयों और राजाओं का एक-एक कर मारा जाना’ विषय है। दोनों के मेल से आलंबन विभाव बन रहा है।
  2. उद्दीपन विभाव – वे विभाव होते हैं किसे देखकर मन के स्थाई भाव जागृत होते हैं । इसका केंद्र स्थायी भाव होते हैं। वो परिस्थिति जिसे देखकर स्थायी भाव जागृत होते है वह उद्दीपन विभाव कहलाता है। अभिनेत्री को देखर अभिनेता के मन में आकर्षण (रति भाव ) का भाव जागृत होता है। अभिनेत्री की शारीरिक चेष्टाएँ और पहाड़ो  का सुन्दर दृश्य अभिनेता के मन में आकर्षण का भाव उत्पन्न करता है और सुहावन मौसम उसे तीव्रता लाता है। इसमें अभिनेत्री की शारीरिक चेष्टाएँ और पहाड़ो का सुहावना मौसम को उद्दीपन विभाव कहा जाएगा।

अनुभाव रस

स्थायी भाव जागृत होने पर भाव के आश्रय में जो चेष्टायें होती हैं या रस के उत्पन्न होने पर , उसकी पुष्टि करने के लिए जो भाव जागृत होते हैं , वही भाव “अनुभाव” कहलाती हैं।

अनुभाव दो शब्दों ‘अनु’ और भाव के मेल से बना है। ‘अनु’ अर्थात् पीछे या बाद में अर्थात् आश्रय के मन में पनपे भाव और उसकी वाह्य चेष्टाएँ अनुभाव कहलाती हैं। जैसे-चुटकुला सुनकर हँस पड़ना, तालियाँ बजाना आदि चेष्टाएँ अनुभाव हैं।

अनुभावों की संख्या 8 मानी गई है- ( Ras Class 10 )

  • (1) स्तंभ
  • (2) स्वेद
  • (3) रोमांच
  • (4) स्वर-भंग
  • (5) कम्प
  • (6) विवर्णता (रंगहीनता)
  • (7) अश्रु
  • (8) प्रलय (संज्ञाहीनता/निश्चेष्टता) ।

संचारी भाव रस

मन में विचरण करने वाले भावों को संचारी या व्यभिचारी भाव कहते हैं, ये भाव पानी के बुलबुलों के सामान उठते और विलीन हो जाने वाले भाव होते हैं। संचारी भावों की कुल संख्या 33 मानी गई है

(1) हर्ष (2) विषाद (3) त्रास (भय/व्यग्रता) (4) लज्जा (5) ग्लानि (6) चिंता (7) शंका (8) असूया (दूसरे के उत्कर्ष के प्रति असहिष्णुता) (9) अमर्ष (विरोधी का अपकार करने की अक्षमता से उत्पत्र दुःख) (10) मोह (11) गर्व (12) उत्सुकता (13) उग्रता (14) चपलता (15) दीनता (16) जड़ता (17) आवेग (18) निर्वेद (अपने को कोसना या धिक्कारना) (19) घृति (इच्छाओं की पूर्ति, चित्त की चंचलता का अभाव) (20) मति (21) बिबोध (चैतन्य लाभ) (22) वितर्क (23) श्रम (24) आलस्य (25) निद्रा (26) स्वप्न (27) स्मृति (28) मद (29) उन्माद 30) अवहित्था (हर्ष आदि भावों को छिपाना) (31) अपस्मार (मूर्च्छा) (32) व्याधि (रोग) (33) मरण

स्थायी भाव रस

स्थायी भाव का मतलब है प्रधान भाव। प्रधान भाव वही हो सकता है जो रस की अवस्था तक पहुँचता है। काव्य या नाटक में एक स्थायी भाव शुरू से आख़िरी तक होता है। स्थायी भावों की संख्या 9 मानी गई है। स्थायी भाव ही रस का आधार है। एक रस के मूल में एक स्थायी भाव रहता है। अतएव रसों की संख्या भी 9 हैं, जिन्हें नवरस कहा जाता है। मूलत: नवरस ही माने जाते हैं। बाद के आचार्यों ने 2 और भावों वात्सल्य और भगवद विषयक रति को स्थायी भाव की मान्यता दी है। ऐसे स्थायी भावों की संख्या 11 तक पहुँच जाती है और तदनुरूप रसों की संख्या भी 11 तक पहुँच जाती है।

S. No.रसस्थायी भाव
1श्रृंगाररति
2हास्यहास
3करुणशोक
4रौद्रक्रोध
5वीरउत्साह
6भयानकभय
7वीभत्सजुगुप्सा
8अद्भुतविस्मय
9शांतनिर्वेद
10वात्सल्यवत्सलता
11भक्ति रसअनुराग
Ras Class 10

1. शृंगार रस (Shringar Ras in Hindi)

 जब आपके मन में प्रेम की भावना जगती है इसका वर्णन शृंगार रस है। श्रृंगार रस को रसराज या रसपति कहा गया है। श्रृंगार रस का स्थायी भाव रति हैं। नायक और नायिका का प्रेम होकर श्रृंगार रस रूप मे परिणत होता हैं।
उदाहरण –
एक जंगल है तेरी आँखों में
मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ
तू किसी रेल-सी गुज़रती है
मैं किसी पुल-सा थरथराता हूँ।

श्रंगार के दो भेद होते हैं

  • संयोग श्रृंगार – जब प्रेमी और प्रेमिका के बीच परस्पर मिलन,  स्पर्श आदि तब संयोग शृंगार रस होता है।
    • उदाहरण – बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय।
    • सौंह करै भौंहनि हँसै, दैन कहै नहि जाय।
  • वियोग श्रृंगार- जहां प्रेमी और प्रेमिका के बिछड़ने का वर्णन हो उसे वियोग श्रृंगार कहते है।
    • उदाहरण –राम के रूप निहारति जानकी, कंगन के नग की परछाई।
    • याते सबै सुधि भूलि गई, कर टेकि रही पल टारत नाहीं।।”

2. वीर रस (Veer Ras in Hindi)

वीरता का कोई चित्र  या मन में जोश भर देने वाली कोई काव्य रचना जिससे उत्साह भाव व्यक्त हो  और कुछ वीरता पूर्ण कृत्य करने का मन हो| वीर रस चार प्रकार के देखे जाते हैं –

  1. युद्धवीर
  2. दानवीर
  3. दयावीर
  4. धर्मवीर

उदाहरण – (Ras Ke Udaharan Class 10)

रस बताइए मैं सत्य कहता हूं सखे सुकुमार मत जानो | मुझे यमराज से भी युद्ध को प्रस्तुत सदा मानो मुझे||

3. हास्य रस (Hasya Ras in Hindi)

जब किसी व्यक्ति या वास्तु को देखकर असाधारण बात, कपडे  देखकर मन में हस भाव उत्पन्न  हो उसे हास्य रस कहते है।
उदाहरण –
काहू न लखा सो चरित विशेखा । जो सरूप नृप कन्या देखा ।
मरकट बदन भयंकर देही। देखत हृदय क्रोध भा तेही ॥
जेहि दिसि बैठे नारद फूली। सो दिसि तेहि न बिलोकी भूली ॥
पुनि-पुनि उकसहिं अरु अकुलाही। देखि दसा हर-गन मुसुकाही ॥

4. करुण रस (Karun Ras in Hindi)

 इसमें किसी अपने से दूर चले जाने का जो दुख उत्पन्न होता उसे करूँ रस कहते है। वियोग  शृंगार में भी दुःख का भाव है लेकिन उसमे दूर जाने के बाद दुबारा मिलने की आशा रहती  है।
उदाहरण –
रही खरकती हाय शूल-सी, पीड़ा उर में दशरथ के।
ग्लानि, त्रास, वेदना – विमण्डित, शाप कथा वे कह न सके।

5. रौद्र रस (Raudra Ras in Hindi)

जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति किसी दूसरे पक्ष या दूसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन  कि निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है उसे रौद्र रस कहते हैं। इसका स्थायी भाव क्रोध होता है।
उदाहरण –

अब जनि देइ दोसु मोहि लोगू। कटुवादी बालक वध जोगू॥
बाल विलोकि बहुत मैं बाँचा। अब येहु मरनहार भा साँचा॥
खर कुठार मैं अकरुन कोही। आगे अपराधी गुरुद्रोही॥
उत्तर देत छोडौं बिनु मारे। केवल कौशिक सील तुम्हारे ॥
न त येहि काटि कुठार कठोरे। गुरहि उरिन होतेउँ भ्रम थोरे ॥

6. भयानक रस (Bhayanak Ras in Hindi)

जब किसी विनाशकारी कृत्य को देख कर आपके रोंगटे खड़े हो जाये और हृदय में बेचैनी से भय का स्थायी  भाव उत्पन्न होता है उसे भयानक रस कहते है।
उदाहरण –
अखिल यौवन के रंग उभार, हड्डियों के हिलाते कंकाल॥ 
कचो के चिकने काले, व्याल, केंचुली, काँस, सिबार ॥ 

7.शान्त रस (Shant Ras in Hindi)

जब इंसान को परम ज्ञान हासिल हो जाता है। जहाँ न दुख होता है, न द्वेष होता है। मन सांसारिक कार्यों से मुक्त हो जाता है मनुष्य वैराग्य प्राप्त कर लेता है शान्त रस कहा जाता है। इसका स्थायी भाव निर्वेद (उदासीनता) होता है।

शान्त रस साहित्य में प्रसिद्ध नौ रसों में अन्तिम रस माना जाता है – “शान्तोऽपि नवमो रस:।” इसका कारण यह है कि भरतमुनि के ‘नाट्यशास्त्र’ में, जो रस विवेचन का आदि स्रोत है, नाट्य रसों के रूप में केवल आठ रसों का ही वर्णन मिलता है।
उदाहरण – ( Ras Class 10 Udharahan )
जब मै था तब हरि नाहिं अब हरि है मै नाहिं
सब अँधियारा मिट गया जब दीपक देख्या माहिं।

8.वीभत्स रस (Veebhats Ras in Hindi)

जब  घृणित चीजो या घृणित व्यक्ति को देखकर या उनके बारे में विचार या उनके बारे  में सुनकर मन में उत्पन्न होने वाली घृणा वीभत्स रस कि पुष्टि करती है। तुलसीदास ने रामचरित मानस के लंकाकांड में युद्ध  में कई जगह इस रस का प्रयोग किया है। 
उदाहरण- मेघनाथ माया के प्रयोग से वानर सेना को डराने के लिए कई वीभत्स कृत्य करने लगता है, जिसका वर्णन करते हुए तुलसीदास जी लिखते है।
‘विष्टा पूय रुधिर कच हाडा
बरषइ कबहुं उपल बहु छाडा’

9. वत्सल रस (Vatsalya Ras in Hindi)

माता पिता  का बच्चे के प्रति प्रेम , बच्चे का माता पिता के प्रति प्रेम , बड़े भाइयों का छोटे भाइयो के प्रति प्रेम,  अध्यापक का शिष्य के प्रति प्रेम , शिष्य अध्यापक के प्रति प्रेम। यही स्नेह का भाव वात्सल्य रस कहलाता है।
उदाहरण –
बाल दसा सुख निरखि जसोदा, पुनि पुनि नन्द बुलवाति
अंचरा-तर लै ढ़ाकी सूर, प्रभु कौ दूध पियावति।

10. भक्ति रस (Bhakti Ras in Hindi)

जिसमे ईश्वर के प्रति अनुराग का भाव उत्पन्न हो उसे भक्ति रस कहते है।
उदाहरण –
अँसुवन जल सिंची-सिंची प्रेम-बेलि बोई
मीरा की लगन लागी, होनी हो सो होई

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Special Ras Class 10 Notes :-

  1. शृंगार रस को ‘रसराज/ रसपति’ कहा जाता है।
  2. नाटक में 8 ही रस माने जाते हैं क्योंकि वहां शांत को रस में नहीं गिना जाता । भरत मुनि ने रसों की संख्या 8 माना है।
  3. भरत मुनि ने केवल 8 रसों की चर्चा की है, पर आचार्य अभिननगुप्त (950-1020 ई.) ने ‘नवमोऽपि शान्तो रसः’ कहकर 9 रसों को काव्य में स्वीकार किया है।
  4. शृंगार रस के व्यापक दायरे में वत्सल रस व भक्ति रस आ जाते हैं इसलिए रसों की संख्या 9 ही मानना ज्यादा उपयुक्त है।
  5. भरतमुनि (1 ली सदी) को ‘काव्यशास्त्र का प्रथम आचार्य’ माना जाता है।
  6. सर्वप्रथम आचार्य भरत मुनि ने अपने ग्रंथ ‘नाट्य शास्त्र’ में रस का विवेचन किया। उन्हें रस संप्रदाय का प्रवर्तक माना जाता है।
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रस की पाश्चात्य आलोचकों की प्रमुख पुस्तकें एव उनके रचनाकार

  • पुस्तक लेखक/रचनाकार
  • इओन, सिंपोसियोन, पोलितेइया, रिपब्लिक, नोमोई – प्लेटो
  • तेखनेस रितोरिकेस, पेरिपोइतिकेस – अरस्तू
  • पेरिइप्सुस – लोंजाइनस
  • बायोग्राफिया लिटरेरिया, द फ्रेंड, एड्सटू रिफ्लेक्शन – कॉलरिज
  • लिरिकल बैलेड्स – विलियम वर्ड्सवर्थ
  • एस्थेटिक – बेनदेतो क्रोचे
  • द सेक्रेड वुड, सेलेक्टेड एसेस, एसेस एन्शेंट एंड मॉडर्न – टी.एस. इलियट
  • प्रिंसिपल ऑफ लिटरेरी क्रिटिसिज्म, कॉलरिज आन इमेजिनेशन – आई.ए. रिचर्ड्स
  • ऐस्से ऑन क्रिटिसिज्म – पोप
  • रिवेल्युएशंस, द कॉमन पर्स्ट – एफ. आर. लिविस
  • ग्रामर ऑफ मोटिक्स – केनेथ बर्क
  • क्रिटिक्स एण्ड क्रिटिसिज़्म – आर.एस. क्रेन

रस की पाश्चात्य (Ras Class 10)

  • सिद्धान्त – प्रवर्तक
  • अनुकरण सिद्धान्त – अरस्तू
  • त्रासदी तथा विरेचन सिद्धान्त – अरस्तू
  • औदात्यवाद – लोंजाइनस
  • सम्प्रेषण सिद्धान्त – आई.ए. रिचर्ड्स
  • निर्वैयक्तिकता का सिद्धान्त – टी. एस. इलियट
  • अभिव्यंजनावाद – बेनदेतो क्रोचे
  • अस्तित्ववाद – सॉरेन कीर्कगार्द
  • द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद – कार्ल मार्क्स
  • मार्क्सवाद – कार्ल मार्क्स
  • मनोविश्लेषणवाद – फ्रॉयड
  • विखण्डनवाद – जॉक देरिदा
  • कल्पना सिद्धान्त – कॉलरिज
  • स्वच्छन्दतावाद – विलियम्स वर्ड्सवर्थ
  • प्रतीकवाद – जॉन मोरियस
  • बिम्बवाद – टी.ई. ह्यम

Ras Class 10 MCQ

Ras Class 10 MCQ
Ras Class 10 MCQ

Q.1 प्रिय पति वह मेरा प्राण प्यारा कहाँ है, दुःख-जलनिधि-डूबी सहारा कहाँ है ? इन पंक्तियों में कौन सा स्थायी भाव है

  • A) विस्मय
  • B) रति
  • C) शोक
  • D) क्रोध

Q.2 भाव जिसके हदय में रहते है’ उसे कहते है ?

  • A) आश्रय
  • B) आलंबन
  • C) उद्दीपन
  • D) आलंबन जन्य उद्दीपन

Q.3 हाँ रघुनंदन प्रेम परीते | तुम विन जिअत बहुत दिन बीते ||

  • A) वीर रस​
  • B) संयोग रस
  • C) शांत रस
  • D) करुण रस

Q.4 पायो जी म्हें तो राम- रतन धन पायो |

  • A) वात्सल्य रस
  • B) शांत रस
  • C) भक्ति रस
  • D) अद्भुत रस

Q.5 देखी यशोदा शिशु के मुख में सकल विश्व की माया |

क्षण भर को वह बनी अचेतन हित न सकी कोमल काया ||

  • A) वात्सल्य रस
  • B) शांत रस
  • C) भक्ति रस
  • D) अद्भुत रस

Q.6 जब मै था तब हरि नाहिं अब हरि है मै नाहिं|

सब अँधियारा मिट गया जब दीपक देख्या माहिं||

  • A) शांत रस
  • B) वात्सल्य रस
  • C) भक्ति रस
  • D) अद्भुत रस

(Ras Class 10 Hindi Grammar Pdf Download)

Q.7 बुरे समय को देख कर गंजे तू क्यों रोय। 

किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय||

  • A) वीर रस​
  • B) संयोग रस
  • C) शांत रस
  • D) हास्य

 Q.8 रे नृप बालक काल बस बोलत तेहि न संभार |

धनु ही सम त्रिपुरारि |धनु विदित सकल संसार ||

  • A) वियोग रस
  • B) रौद्र रस
  • C) संयोग रस
  • D) करुण रस

Q.9 ‘रति’ स्थायीभाव किस रस का है?

  • A) हास्य रस का
  • B) शांत रस का
  • C) श्रृंगार
  • D) वीर

Ras Class 10 MCQ

 Q.10 हाय राम कैसे झेलें हम अपनी लज्जा अपना शोक। गया हमारे ही हाथों से अपना राष्ट्रपिता परलोक। पंक्ति में कौन-सा रस प्रयुक्त हुआ है?

  • A) श्रृंगार रस
  • B) वियोग रस
  • C) करुण रस
  • D) अद्भुत रस

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RAS Class 10 Questions with Answers

Q.1 : रस कितने प्रकार के होते हैं?

Ans: रसों की कुल संख्या 11 मानी जाती है और यह 11 प्रकार के होते हैं।

Q.2: श्रृंगार रस कितने प्रकार के होते हैं?

Ans: श्रृंगार रस दो प्रकार के होते हैं
1. संयोग श्रृंगार (संभोग श्रृंगार)
2. वियोग श्रृंगार ( विप्रलंभ श्रृंगार )

Q.3: रस के कितने अंग होते हैं?

Ans: रस के चार अंग माने गए हैं।
1.स्थाई भाव
2.विभाव
3.अनुभाव
4.संचारी/व्यभिचारी भाव

Q.4: विभाव रस के कितने भेद होते हैं?

Ans: विभाव रस के दो भेद होते हैं।
1. आलंबन विभाव
2. उद्दीपन विभाव

Q.5: श्रृंगार रस का स्थाई भाव क्या है?

Ans: रति/प्रेम होता है।

Q.6: शांत रस स्थायी भाव क्या है?

Ans: शम/निर्वेद (वैराग्य/वितराग) होता है।

Q.7: वीर रस का स्थाई भाव क्या है?

Ans: वीर रस का स्थाई भाव उत्साह होता है।

Q.8: भक्ति रस का स्थायी भाव क्या है?

Ans: भगवद् विषयक रति/अनुराग

Q.9: वीभत्स रस का स्थायी भाव क्या है?

Ans: जुगुत्सा/घृणा मुख्य भाव होते हैं।

Q.10: भयानक रस का स्थायी भाव क्या है?

Ans: भयानक रस का स्थायी भाव ‘भय’ होता है।

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